उत्तर प्रदेश में बढ़ते हुए साइबर क्राइम के मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने ऐलान किया है कि प्रदेश के 57 जनपदों में साइबर क्राइम थाने स्थापित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोकभवन में आयोजित कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लग गई। इस निर्णय के साथ ही प्रदेश के सभी जनपदों में साइबर क्राइम थानों की मौजूदगी हो जाएगी। फिलहाल, प्रदेश के सभी 18 मंडलों में साइबर क्राइम थाने मौजूद हैं।
मंत्री सुरेश खन्ना ने दी जानकारी
बता दें कि अभी तक IG स्तर का अधिकारी इन थानों को देखता था, लेकिन सभी जनपदों में साइबर क्राइम थाने स्थापित होने के बाद पुलिस अधीक्षक इसकी जिम्मेदारी निभाएंगे। लोकभवन के मीडिया सेंटर में वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में बढ़ते साइबर क्राइम को देखते हुए सभी 75 जनपदों में साइबर थानों की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। 18 मंडल मुख्यालयों में पहले से ही साइबर थाने मौजूद हैं, अब बाकी बचे 57 जनपदों में भी थाने स्थापित करने का बड़ा निर्णय लिया गया है।
127.24 करोड़ रुपये होंगे खर्च
सुरेश खन्ना ने बताया कि इन थानों की स्थापना पर सरकार पर लगभग 127.24 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उन्होंने कहा कि सरकार तेजी से इस पर काम करने जा रही है और जल्द ही थाने स्थापित किए जाएंगे। वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि साइबर क्राइम में कन्विक्शन के मामले में यूपी सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा, ‘हमारा कन्विक्शन रेट नेशनल साइबर क्राइम के कन्विक्शन रेट से काफी बेहतर है। साइबर क्राइम के मामलों में नेशनल कन्विक्शन रेट 46.5 परसेंट है, जबकि हमारा कन्विक्शन रेट 87.8 परसेंट है। अब तक प्रदेश में 838 कन्विक्शन हुए हैं, जबकि दूसरे नंबर पर मौजूद मध्य प्रदेश में सिर्फ 59 कन्विक्शन हुए हैं।’
575 बेड का पीडियाट्रिक सेंटर बनेगा
वित्त मंत्री ने बताया कि CM योगी की PGI में एडवांस्ड पीडियाट्रिक सेंटर की स्थापना की घोषणा पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी। इसके अंतर्गत PGI में दो फेज में 575 बेड का एडवांस्ड पीडियाट्रिक सेंटर स्थापित किया जाएगा। 199.1 करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रोजेक्ट के पहले फेज में 308 बेड बनाए जाएंगे जो 12 विभागों के तहत आएंगे। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि 18 महीने में इसका निर्माण पूरा कर लिया जाए। वित्त मंत्री ने बताया कि अधिवक्ता की मृत्यु पर निधि से परिजनों को पहले 1.5 लाख रुपये की मदद दी जाती थी, जिसे बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया है।