चारधाम यात्रा 2025: श्रद्धालुओं के लिए नया तीर्थस्थल, नेलांग और जादूंग गांवों को मिलेगा पर्यटन का तोहफा
चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 मार्च को उत्तराखंड में नेलांग और जादूंग गांवों को पर्यटन के लिए खोलने की घोषणा करेंगे। ये गांव उत्तरकाशी जिले में 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं और अपनी ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत के लिए जाने जाते हैं।
नेलांग और जादूंग गांवों का महत्व
- 1962 भारत-चीन युद्ध से जुड़ा ऐतिहासिक स्थान – युद्ध के दौरान इन गांवों को चीन की सेना ने बमबारी से तबाह कर दिया था, जिसके बाद यहां के निवासियों को हर्षिल घाटी में पुनर्वासित किया गया।
- शीत मरुस्थल (Cold Desert) क्षेत्र – यह इलाका लद्दाख की तरह हिमालय के पीछे स्थित एक ठंडी रेगिस्तानी भूमि है।
- तिब्बत जाने का पारंपरिक मार्ग – यह क्षेत्र प्राचीन व्यापारिक मार्गों का हिस्सा रहा है और गतांग गली और जनकताल जैसे ऐतिहासिक स्थान इसमें आते हैं।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए वैकल्पिक मार्ग – लिपुलेख दर्रे के मुकाबले यह मार्ग अधिक सुगम माना जाता है।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
केंद्र सरकार की ‘वाइब्रेंट विलेज योजना’ के तहत जादूंग गांव को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। सरकार यहां ₹3.50 करोड़ की लागत से होमस्टे सुविधाएं बना रही है, जिससे पर्यटकों को ठहरने की उत्तम व्यवस्था मिलेगी।
इतिहास से जुड़ा साहित्यिक महत्व
- प्रख्यात लेखक राहुल सांकृत्यायन और बाबा नागार्जुन इसी मार्ग से तिब्बत तक गए थे।
- उत्तरकाशी जिला तिब्बत के साथ प्राचीन व्यापारिक केंद्र रहा है।
चारधाम यात्रा के श्रद्धालुओं के लिए लाभ
- चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु अब नेलांग और जादूंग गांवों के प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों का आनंद ले सकेंगे।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए यह मार्ग अधिक सुगम और सुविधाजनक हो सकता है।
- यह क्षेत्र एडवेंचर टूरिज्म और आध्यात्मिक यात्रा के लिए एक नया केंद्र बनेगा।
सरकार की यह पहल क्यों महत्वपूर्ण है?
- चीन सीमा के पास बसे गांवों में जनसंख्या बनाए रखने की रणनीति।
- उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ावा।
- भारत-तिब्बत पारंपरिक व्यापार मार्गों का पुनरुद्धार।