भारत की समुद्री सीमाओं की निगरानी और रणनीतिक दृष्टि से अहम है. ऐसे में अंडमान और निकोबार कमान को नया नेतृत्व मिल गया है. रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डीएस राणा को अंडमान और निकोबार कमान (एएनसी) का अगला कमांडर-इन-चीफ बनाया गया है. सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, वो 1 जून को अपना कार्यभाल संभालेंगे. लेफ्टिनेंट जनरल राणा अंडमान और निकोबार कमान के 18वें कमांडर-इन-चीफ होंगे. एयर मार्शल साजु बालाकृष्णन का स्थान लेंगे.
मुख्य बिंदु जो इस नियुक्ति को विशेष बनाते हैं:
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त्रि-सेवा अनुभव: ANC एकमात्र ऐसी कमान है जहां थल, जल और वायु सेना की संयुक्त उपस्थिति है। ले. जनरल राणा का विविध सैन्य अनुभव इसे और प्रभावशाली बनाएगा।
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चीन विषयक विशेषज्ञता:
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उन्होंने अपनी M.Phil थीसिस में चीन के रक्षा पुनर्गठन और भारत पर उसके प्रभाव का विश्लेषण किया।
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हाल ही में “नए युग में चीन की सैन्य कूटनीति और भारत के लिए निहितार्थ” विषय पर एक पेपर भी प्रकाशित किया।
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भारतीय सेना के थिंक टैंक से जुड़े रहकर उन्होंने चीन की रणनीतियों और सैन्य दृष्टिकोण पर संवाद और विश्लेषण किया।
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रक्षा खुफिया एजेंसी (DIA) प्रमुख के रूप में अनुभव:
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DIA भारतीय रक्षा व्यवस्था में रणनीतिक खुफिया का केंद्र है।
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उनके पास खुफिया, संचालन और प्रशासन तीनों क्षेत्रों का संतुलित अनुभव है।
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अनुसंधान और नवाचार में सहयोग:
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IIT गुवाहाटी और तेजपुर स्थित रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला के साथ मिलकर उन्होंने सैनिकों की संचालन क्षमता बढ़ाने वाले R&D प्रोजेक्ट्स की अगुवाई की।
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पूर्वोत्तर में संचालनात्मक अनुभव:
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71 माउंटेन डिवीजन के कमांडर रहते हुए उन्होंने कठिन भौगोलिक और रणनीतिक परिस्थितियों में कमान संभाली।
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सामरिक दृष्टि से महत्त्व:
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मलक्का जलडमरूमध्य के समीप स्थित अंडमान द्वीप समूह हिंद महासागर में भारत का रणनीतिक “ऑब्ज़र्वेशन पोस्ट” है।
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भारत की एकीकृत समुद्री रणनीति, इंडो-पैसिफिक में QUAD जैसी पहलें और चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति को देखते हुए ANC की भूमिका लगातार अहम हो रही है।
इस नई नियुक्ति से यह संकेत मिलता है कि भारत अब क्षेत्रीय सैन्य संतुलन और सामुद्रिक निगरानी को लेकर और भी सजग और आक्रामक रणनीति अपनाने की दिशा में है।