ब्लैक बॉक्स: अहमदाबाद प्लेन क्रैश का राज़ खोलने वाला अहम उपकरण
12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरते ही एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 क्रैश हो गई, जिसमें 265 लोगों की जान चली गई। हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए विशेषज्ञ जिस उपकरण पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं, वह है — ब्लैक बॉक्स। यह एक ऐसा डिवाइस है जो विमान के उड़ान संबंधी डेटा और कॉकपिट की बातचीत को रिकॉर्ड करता है और क्रैश के बाद भी अधिकांश मामलों में सुरक्षित बच जाता है।
ब्लैक बॉक्स क्या है?
ब्लैक बॉक्स में दो मुख्य रिकॉर्डिंग डिवाइसेज़ होते हैं —
- कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): यह पायलटों और क्रू मेंबर की बातचीत, इंजन की आवाजें, अलर्ट साउंड्स आदि रिकॉर्ड करता है।
- फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): यह विमान की ऊंचाई, रफ्तार, दिशा, इंजन की स्थिति, फ्लैप्स की स्थिति, और अन्य सैकड़ों तकनीकी पैरामीटर्स को रिकॉर्ड करता है।
इन दोनों की रिकॉर्डिंग से जांचकर्ता यह पता लगाने में सक्षम होते हैं कि फ्लाइट में आखिरी पलों में क्या हुआ, पायलट ने कैसे प्रतिक्रिया दी, कौन सी तकनीकी दिक्कत सामने आई आदि।
इतिहास और विकास
ब्लैक बॉक्स का विचार सबसे पहले 1953 में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड वॉरेन ने दिया था, और उन्होंने 1956 में इसका पहला प्रोटोटाइप तैयार किया। हालांकि, इसका महत्त्व दुनिया भर की एयरलाइनों ने धीरे-धीरे समझा और इसे अनिवार्य किया गया।
यह जलने या समुद्र में गिरने पर भी कैसे बचता है?
ब्लैक बॉक्स आमतौर पर टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील से बना होता है और इसे विमान के पिछले हिस्से में लगाया जाता है, जहां क्रैश का प्रभाव कम होने की संभावना होती है। यह उपकरण आग, दबाव, और समुद्र की गहराई तक के दबाव को सहन करने में सक्षम होता है। यदि विमान समुद्र में गिरता है, तो यह बीकन सिग्नल भी भेज सकता है जिसे खोज टीमें ट्रैक करती हैं।
नाम ‘ब्लैक बॉक्स’ क्यों है?
हालांकि इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाता है, लेकिन यह वास्तव में नारंगी रंग का होता है ताकि मलबे में आसानी से पहचाना जा सके। “ब्लैक बॉक्स” शब्द तकनीकी शब्दावली से लिया गया है जिसका अर्थ है — एक ऐसा सिस्टम जिसके अंदर की प्रक्रिया तो नहीं दिखती, लेकिन आउटपुट देखा जा सकता है।
सीमाएं भी हैं
हालांकि ब्लैक बॉक्स बहुत उपयोगी होता है, फिर भी इसकी कुछ सीमाएं हैं। कभी-कभी रिकॉर्डिंग डिलीट हो जाती है या क्रैश के समय आखिरी पल की जानकारी सुरक्षित नहीं रह पाती। जैसे कि 2024 में जेजू एयर क्रैश के दौरान आखिरी मिनट की रिकॉर्डिंग गायब मिली थी। 2014 में मलेशिया एयरलाइंस फ्लाइट MH370 की घटना में भी ब्लैक बॉक्स की सिग्नलिंग असफल रही थी।
हेलिकॉप्टर में क्या होता है?
हेलिकॉप्टरों में भी कॉम्बाइंड रिकॉर्डर लगाया जाता है, जो फ्लाइट से संबंधित दिशा, तापमान, गति, समय, पावर आदि का डेटा रिकॉर्ड करता है।
अहमदाबाद क्रैश में भूमिका
AI171 दुर्घटना के कारणों की पुष्टि के लिए अब ब्लैक बॉक्स की रिकॉर्डिंग का डिकोडिंग और विश्लेषण किया जाएगा। यह पता लगाएगा कि उड़ान के दौरान क्या तकनीकी गड़बड़ी हुई, पायलट ने कैसे प्रतिक्रिया दी, और हादसा टालने की कोई गुंजाइश थी या नहीं।